लखनऊ। मशहूर शायर मुनव्वर राना की याद में गुरुवार के रोज़ एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। शहर के आईटी चौराहे पर स्थित जैकोबें क्लब कैफ़े में इस बातचीत का आयोजन हरिभान यादव और अरग़वान रब्बही ने किया।
हिन्दी साहित्य के जानकार दुर्गेश कुमार चौधरी ने कहा कि मुनव्वर राना साहब की शायरी उर्दू ही नहीं हिंदी भाषा से जुड़े लोगों को भी पढ़ना चाहिए। मुनव्वर राना को याद करते हुए हरिभान यादव ने बताया कि माँ से जुड़े जज़्बात पर उन्होंने जो शायरी की है, वो उनके दिल के बहुत क़रीब है। वकालत की पढ़ाई कर रहे अहमद रज़ा ने बताया कि किस तरह ज़िन्दगी के अलग अलग मौक़ों पर राना साहब की शायरी ने उनका साथ दिया।
अधिवक्ता ज्योति राय ने कहा कि मुनव्वर साहब ने अलग अलग विषयों पर शायरी की है।
इस कार्यक्रम में हिंदी साहित्यि पर मज़बूत पकड़ रखने वाले दुर्गेश कुमार चौधरी, अधिवक्ता प्रवीण पाण्डेय, अधिवक्ता ज्योति राय, NSUI के नेता अहमद रज़ा, वरिष्ठ पत्रकार राम धारी यादव, प्राइम टीवी के मुहम्मद फ़ाज़िल, लखनऊ विश्विद्यालय के पीएचडी छात्र प्रशांत मिश्रा, अधिवक्ता मुहम्मद अनस और साद हफ़ीज़ आदि शामिल हुए।
मशहूर शायर मुनव्वर राना का इस महीने की 14 तारीख़ को निधन हो गया। उनका जन्म 26 नवंबर 1952 को राय बरेली में हुआ था। उनकी परवरिश कोलकाता में हुई और लखनऊ में उन्होंने अपना घर बनाया। 2014 में उन्हें उनकी नज़्म शाहदाबा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया। 14 जनवरी, 2024 को उन्होंने इस फ़ानी दुनिया अलविदा कह दिया।